ऐ बंधुओ इस अनाज का अपमान मत करना
भोजन को झूठा छोड़कर अभिमान मत करना
अनाज को किसान ने मुश्किल से उपजाया
पहले तो बीज बोया और फिर हल चलाया
तैयार फसल होने पे काटी इसका ध्यान करना
इसमें तो उसने अपना खून पसीना बहाया
खुद भूखा रहा पर उसने तुमको है खिलाया
भरपेट खाके तुम इसका अनुमान भी करना
कितनी मेहनत झोंकी है उसने तब फल पाया
उसकी मेहनत रंग लाई धरा से सोना उगाया
इस धरती की माटी का तुम अपमान मत करना
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