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रविवार, 7 फ़रवरी 2016

सिलसिला जुड़ा रहे तुमसे


कोई गिला  नही शिकवा नहीँ रहा तुमसे 
आरज़ू  है कि सिलसिला जुड़ा रहे तुमसे 

                कभी थे जुदा  हम बरसों से  तन्हाई में 
                अब ये दुआ है कि कभी न हों जुदा तुमसे 

सपनों के राहों की भूलभुलैया में 
हम अपना पता पूछते रहे तुमसे 

                    कितने भी गम ज़माना दे चाहे अब हमें 
                    खुदा  करे यूँ ही मिलते रहें सदा तुमसे 


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