कोई गिला नही शिकवा नहीँ रहा तुमसे
आरज़ू है कि सिलसिला जुड़ा रहे तुमसे
कभी थे जुदा हम बरसों से तन्हाई में
अब ये दुआ है कि कभी न हों जुदा तुमसे
सपनों के राहों की भूलभुलैया में
हम अपना पता पूछते रहे तुमसे
कितने भी गम ज़माना दे चाहे अब हमें
खुदा करे यूँ ही मिलते रहें सदा तुमसे
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