बिन पिए ही कदम लड़खड़ाने लगे है
जिंदगी की राह में डगमगाने लगे है
कुछ बरस पहले बहार आई थी
ख़ुशी जीवन में मुस्कुराई थी
गुलिस्तां के फूल मुरझाने लगे है
दिल को तसल्ली से मनाने लगे है
शायद मुझमें ही कोई कमी है
जो मेरा होकर भी मेरा नही है
सपने थे सपने कब हुए अपने
नस नस में काँटे चुभाने लगे है
thanks
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