एक कड़वा ज़हर पिए जा रहे है हम
मांगने से मौत होती नहीँ नसीब
लुटा आशियाँ कभी थे खुशनसीब
फिर भी कल की आस किए जा रहे है हम
न होती उल्फ़त तो न यूँ होती रुसवाई
यह जिंदगी हमें कभी रास न आई
सच है कि गरल पिए जा रहे है हम
किश्ती से किनारा छूटा तो भंवर ले डूबा
अपनी किस्मत का सितारा भी डूबा
फिर भी बेआस जिए जा रहे है हम
न पूछो हमसे अब तन्हाई का आलम
क्या क्या न सहे हमने दुनिया के सितम
दिए वादे को निभाते जा रहे है हम
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