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शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

जिंदगी - एक ज़हर



जिंदगी जीने को जिए जा रहे है हम 
एक कड़वा ज़हर पिए जा रहे है हम 

                मांगने से मौत होती नहीँ नसीब 
                लुटा आशियाँ कभी थे खुशनसीब 
                 फिर भी कल की आस किए जा रहे है हम 

न होती उल्फ़त तो न यूँ होती रुसवाई 
यह जिंदगी हमें कभी रास न आई 
सच है कि गरल पिए जा रहे है हम 

               किश्ती से किनारा छूटा तो भंवर ले डूबा 
              अपनी किस्मत का सितारा भी डूबा 
               फिर भी बेआस जिए जा रहे है हम 

न पूछो हमसे अब तन्हाई का आलम 
क्या क्या न सहे हमने दुनिया के सितम 
दिए वादे को निभाते जा रहे है हम 

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