पहले हरा था पौधे को सींचा
अब पड़ा है यूँ ही
न आस है न प्यास है
न कोई अपना है
न कोई पराया है
वो भी क्या दिन थे
दिल के तार छेड़े थे तुमने
फूंकी थी जान इसमें
निष्प्राण को जीवन दिया तुमने
बिन तुम्हारे रहा नहीँ जाता
तेरा ये दुःख सहा नहीँ जाता
तू रहे सलामत चाहे जहाँ रहे
मेरा सलाम पहुँचे तू जहाँ रहे
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