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सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

जिंदगी इक सफर



यह सफर जिंदगी का चलते जाना है 
जीवन है जिम्मेदारी इसको निभाना है 

                कभी है आगे  ख़ुशी और पीछे गम 
                कभी है साथ वो कभी तन्हा है हम 
               लेकिन हँसते हँसते सहते जाना है 

मर मर कर भी हम तो जिए 
रो रो कर भी आंसू हमने पिए 
कसम अश्कों को बाहर न आना है 

                   दूर साथ में न चलता है कोई 
                   तन्हाई की आहट सुनता  न कोई 
                   अँधेरे में साये भी से बिछुड़ जाना है 

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