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बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

क्यों चले गए


ममता की डोर तोड़कर 
तुम क्यों चले गए 

               सपनो के मीत मेरे 
               भावों के गीत मेरे 

कम्पन बने, बने रहे 
उलझन भी बन गए 

              यौवन के नयन खोले 
              अन्तर में प्यार डोले

जगते ही जगते कैसे  
वरदान सो गए 

           मिलने की आस लिए 
           युग युग से दीप बाले 

झंझा झकोर आई 
अञ्चल में बुझ गए 

           मंझधार नाव छोड़कर 
           तुम क्यों चले गए 




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