यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

ममता बिलखती है

ममता बिलखती  है - कभी हालात से, कभी जज़्बात से 

कभी माँ के रुप में, कभी बहन बनकर 
कभी बेटी तो कभी पत्नी के रूप में 
उसकी आँख में नमी तैरती है 
हाँ - ममता बिलखती  है 

कभी झिझकती , कभी  तरसती  है 
रूप जवानी नहीं बुढ़ापे की सफेदी चमकती है 
वो हर मोड़ पर डरती रहती है 
हाँ -ममता बिलखती  है 

कुछ लेती नही बदले में वो सिर्फ देती है 
आंसू आँख में छुपाकर ममता बिखेरती है 
मगर आज उसकी ममता बिलखती है 
हाँ  - ममता बिलखती है 

गिला किससे करे कौन पराया है 
सभी अपने है पर संग सिर्फ साया है 
वह एकटक किसे तकती है बेआस जीती है 
हाँ - ममता बिलखती  है 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें