ममता बिलखती है - कभी हालात से, कभी जज़्बात से
कभी माँ के रुप में, कभी बहन बनकर
कभी बेटी तो कभी पत्नी के रूप में
उसकी आँख में नमी तैरती है
हाँ - ममता बिलखती है
कभी झिझकती , कभी तरसती है
रूप जवानी नहीं बुढ़ापे की सफेदी चमकती है
वो हर मोड़ पर डरती रहती है
हाँ -ममता बिलखती है
कुछ लेती नही बदले में वो सिर्फ देती है
आंसू आँख में छुपाकर ममता बिखेरती है
मगर आज उसकी ममता बिलखती है
हाँ - ममता बिलखती है
गिला किससे करे कौन पराया है
सभी अपने है पर संग सिर्फ साया है
वह एकटक किसे तकती है बेआस जीती है
हाँ - ममता बिलखती है
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