दो घड़ी तुम पास बैठो
बस ज़रा मै प्यार कर लूँ
तेरे इन नाज़ुक लबों के
रस ज़रा स्वीकार कर लूँ
हाय खिलता रूप तेरा
हो रहा जैसे सवेरा
फूल सी मुस्कान दे दो
जिस पे मै अधिकार कर लूँ
इस तरह आना तुम्हारा
रूठकर जाना तुम्हारा
भूल मेरी है यदि तो
मै तेरी मनुहार कर लूँ
जब ठिकाना है न पल का
फिर भरोसा केसा कल का
आओ जी भर कर तुम्हारा
आज मै सत्कार कर लूँ
Thanks
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएं