भीगी मोरी चुनरिया मै तो खुद ही सिमट सकुचाने लगी
छेड़ो मुझको न कोई देखो रोको न कोई
आज अपनी ही धुन में मै गाने लगी
पड़ी ठंडी फुहारें भीगा तन मन पुकारे
कंपकंपाते लबों पे ये बूँदें सजाने लगी
कैसा नशा है छाया प्यारा मौसम आया
बगिया फूलो की खुशबु लुटाने लगी
@मीना गुलियानी
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