कैसे करूँ बयां गमे जिंदगी को आज
फट गए है पाँव मंजिल की तलाश में चलते चलते
कोई तो आता मरहम लगाने आज
तुम पास होते तो बात कुछ और ही होती
न आँखे रोती न दिल टूटता आज
लेकर चिराग भटकता हूँ मज़ारों के आसपास
कोई तो करे रोशनी मेरी जिंदगी में आज
कब तक सहर गुज़रेगी यूँ ही तड़प तड़प कर
कोई हमदर्द तो गुज़रे मेरी गली से आज
@मीना गुलियानी
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