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बुधवार, 9 मार्च 2016

कैसे करूँ बयां



कैसे करूँ बयां गमे जिंदगी को आज

फट गए है पाँव मंजिल की तलाश में चलते चलते
कोई तो आता मरहम लगाने आज

तुम पास होते तो बात कुछ और ही होती
न आँखे रोती  न दिल टूटता आज

लेकर चिराग भटकता हूँ मज़ारों के आसपास
 कोई तो करे रोशनी मेरी जिंदगी में आज

कब तक सहर गुज़रेगी यूँ ही तड़प तड़प कर
कोई हमदर्द तो गुज़रे मेरी गली से आज
@मीना गुलियानी 

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