तेरे चुप रहने से जां चली जायेगी
मुस्कुराओगे तो जां में जां आएगी
गेसुओं में न मुखड़ा छिपाया करो
थोड़ा थोड़ा सा यूँ मुस्कुराया करो
दिल की बुझती शमा फिर से जल जायेगी
मुझसे नाराज़ हो माफ़ कर देना तुम
हूँ खतावार मुझको सज़ा देना तुम
रुठने से घटा ये बरस जायेगी
तेरे नाराज़ होने से बदला समां
दिल की बेताबियों से उठता धुँआ
खुश रहो हर तमन्ना निकल जायेगी
@मीना गुलियानी
बहुत ही अच्छे तरीके से आपने शब्दों का इस्तेमाल करके यह सब बहुत बढ़िया लिखा है
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