यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 30 मार्च 2016

वक्त कभी भी रुकता



है मौसम हँसता हँसता नहीं वक्त कभी भी रुकता
चलो सफर पे बढ़े चलो यह रास्ता कभी न रुकता

मस्ती की है बयार छाई , तन मन की सुधि गई बिसारी
झूमें है हर इक पौधा , खिल गई हर इक क्यारी
सूरज की लाली छाई, हर इक कली मुस्कुराई
कोयल भी देखो कूकी , वसन्त ऋतु ने ली अंगड़ाई

बदरी  भी देखो घिर आई , चपला दामिनी चमकी
लेकर के नई चित्रकारी ,मीनाकारी है अम्बर  की
हंसों की टोली आई, गीतों की गूंजी शहनाई
अम्बर ने अपनी मस्ती में गीत की तान सुनाई 

जल थल अम्बर है डोला , वक्त नहीं किसी का रुकता
चलो सफर पे बढ़े चलो , यह रास्ता कभी न रुकता
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें