यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 28 मार्च 2016

ऐसा वादा कौन करेगा



कोई न दुःख में सांझी बनेगा
मन के इस सूने पनघट पर
आके कौन अब नीर भरेगा

                  सब है  अपने पराये बंदी
                  कोई किसी का नहीं है संगी
                  दुनिया है कितनी दोरंगी
                  मुक्त दुखों से कौन करेगा

कुछ पल के है सारे नाते
कुछ ही पलों के है ये वादे
जो टूटे न कभी उम्र भर
ऐसा वादा कौन करेगा
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें