कोई न दुःख में सांझी बनेगा
मन के इस सूने पनघट पर
आके कौन अब नीर भरेगा
सब है अपने पराये बंदी
कोई किसी का नहीं है संगी
दुनिया है कितनी दोरंगी
मुक्त दुखों से कौन करेगा
कुछ पल के है सारे नाते
कुछ ही पलों के है ये वादे
जो टूटे न कभी उम्र भर
ऐसा वादा कौन करेगा
@मीना गुलियानी
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