चाँद देखे न इधर आओ कहीं छुप जाएँ
नदिया के पार चलो आओ कहीं छुप जाएँ
पेड़ों के झुरमुट में करलें बसेरा हम
आज हरियाली की चादर ओढ़ ले हम
बादलों की छाँव तले आओ कहीं छुप जाएँ
फूलों से देखो पिया किसी सुगंध आने लगी
मन मदहोश हुआ मस्ती सी छाने लगी
शीतल बयार बही आओ कहीं छुप जाएँ
चाँद भी निकल आया तारे टिमटिमाने लगे
कोयल कूकी जब भंवरे गुनगुनाने लगे
चंचल चितवन ये तेरी आओ कहीं छुप जाएँ
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