दिल की दास्ताँ तुम सुनो तो कहें
प्यार का है दुश्मन जहाँ तुम सुनो तो कहें
ऐसा भी क्या दर्द उठा अरमां सुलग उठे मेरे
मैने भी ये सोच लिया हो गए अब तो तेरे
दिल ने अपना मान लिया तुम सुनो तो कहें
धरती अंबर दुनिया में कभी न मिलने पाते है
बादल इस घर आँगन से बिन बरसे चले जाते है
कहदो इनसे बरसे ज़रा तुम सुनो तो कहें
सपने भी बेगाने से ये क्यों नहो होते अपने
रह गए दिल के अरमां दिल में पूरे हो कैसे सपने
इस दिल को ले जाएँ कहाँ तुम सुनो तो कहें
@मीना गुलियानी
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