सपनों की इस भूल भुलैया में
तुम अधिक नहीं खो जाना
दूर अमराई में है मेरा गाँव
भूले भटके तुम आ जाना
यहाँ शीतल बयार चलती है
रुत नित नया रूप बदलती है
जुगनू से तारे टिमटिमाते यहाँ
भूले भटके तुम आ जाना
बादलों में चाँद जगमगाता है
सच कहूँ कितना मन को भाता है
हर शिकवों को तुम भूल जाना
भूले भटके तुम आ जाना
चंचल है पथिक मन मेरा
है प्रेम का सागर गहरा
दिल चाहे मुझे भटकाना
भूले भटके तुम आ जाना
@मीना गुलियानी
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