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रविवार, 20 मार्च 2016

भूले भटके तुम आ जाना


सपनों की इस भूल भुलैया में
तुम अधिक नहीं खो जाना
दूर अमराई में है मेरा गाँव
भूले भटके तुम आ जाना

                 यहाँ शीतल बयार चलती है
                  रुत नित नया रूप बदलती है
                  जुगनू से तारे टिमटिमाते यहाँ
                   भूले भटके तुम आ जाना

बादलों में चाँद जगमगाता है
सच कहूँ कितना मन को भाता है
हर शिकवों को तुम भूल जाना
भूले भटके तुम आ जाना

                 चंचल है  पथिक मन मेरा
                 है प्रेम का सागर गहरा
                 दिल चाहे मुझे भटकाना
                भूले भटके तुम आ जाना
@मीना गुलियानी 

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