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शनिवार, 5 मार्च 2016

आज मिलन की बेला है

पिया से मिलन को मन तरसे क्यों तरसे
आज मिलन की बेला है
सर से चुनरिया क्यों सरके जी धड़के
आज मिलन की बेला है

आज पपीहे पी पी मत करियो
रहना तू चुपचाप
मेरे साँवरिया पहचानेंगे
जानेंगे मन की बात
देखूंगी ज़रा धीरज धरके --------आज -----

आज सखी तू पिया से न कहियो
मेरे मन की बात
फूलों पे गुँजन से करता
भंवरा मन की बात
प्रीत की छोड़ूँगी पिचकारी भरके --आज -----

आज तो होली के रंगो से
कर दूँगी सराबोर
ऐसा रंग मलूँगी उनपे
देखें न चित्तचोर
मन में उमँगो के रंग भरके--------आज ------


@मीना गुलियानी 

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