नदिया किनारे मेरा गाँव तू मिलने आ जाना
शीतल ठण्डी छाँव तनिक सुस्ता जाना
बाजरा मक्का की मै तो रोटी पकाऊँगी
अपने हाथों से सैंया तुझको खिलाऊँगी
छाछ भी पिलाऊँगी साथ तू जल्दी आ जाना
सरसों का मैने साग पकाया
खालिस घी उसमें मिलवाया
गुड रबड़ी का स्वाद चखने आ जाना
कितने चाव से चूरमा बनाया
उपले बनाकर बाटी को पकाया
ढेर से घी के साथ तू आके खा जाना
@मीना गुलियानी
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