मेरी निंदिया उड़ाए मै क्या करूँ
होले होले वो अाया दिल के पास रे
छीन लिया दिल उसने बेबाक से
ऐसे चुपके से आ गया कोई रे
दिल में प्रीत जगाये मै क्या करूँ
पहले छीन ली आँखों से निंदिया
फिर हवा ने उड़ाई मोरी बिंदिया
मुझे सोते से जगा गया कोई रे
मीठे सपने दिखाए मै क्या करूँ
जब बन में कोयलिया बोले
दिल खाए मेरा हिचकोले
मनवा मोरा चुरा गया कोई रे
कुछ मन को न भाये मै क्या करूँ
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