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बुधवार, 2 मार्च 2016

मै क्या करूँ



मेरे दिल में समा  गया कोई रे 
मेरी निंदिया उड़ाए मै क्या करूँ 

                  होले होले वो अाया दिल के पास रे 
                  छीन लिया दिल उसने बेबाक से 
                  ऐसे चुपके से आ गया कोई रे 
                  दिल में प्रीत जगाये मै क्या करूँ 

पहले छीन ली आँखों से निंदिया 
फिर हवा ने उड़ाई मोरी बिंदिया 
मुझे सोते से जगा गया कोई रे 
मीठे सपने दिखाए मै क्या करूँ 

                    जब बन में कोयलिया बोले 
                     दिल खाए मेरा हिचकोले 
                    मनवा मोरा चुरा गया कोई रे 
                    कुछ मन को न भाये मै क्या करूँ 

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