कैसे तुझसे कहूँ कि मैने तुझे महसूस किया है
तुम छिपे हो इन हवाओं में
तुम छिपे हो इन लताओं में
इन फूलों की खुशबु में महसूस किया है
तुम्ही हो बादलों के गर्जन में
तुम्हीं हो पायल की छमछम में
इन भँवरो के गुंजन में महसूस किया है
तुम ही इस सांझ और धूप में
तुम ही इस रंग और रूप में
साँसों के सरुर में महसूस किया है
तुम्हीं छिपे हो गीत और संगीत में
तुम्हीं छिपे हो सुर और प्रीत में
धड़कनों के गीत में महसूस किया है
तुम हो परिंदो की परवाज़ में
तुम हो आस और विश्वास में
धरती आकाश में महसूस किया है
@मीना गुलियानी
मैंने तुझे महसूस किया है नयी रचना बहुत अच्छी है
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