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रविवार, 27 मार्च 2016

तुझे महसूस किया है


कैसे तुझसे कहूँ कि मैने  तुझे महसूस किया है 

तुम छिपे हो इन हवाओं में 
तुम छिपे हो इन लताओं में 
इन फूलों की खुशबु में महसूस किया है 

                   तुम्ही हो बादलों के गर्जन में 
                   तुम्हीं हो पायल की छमछम में 
                   इन भँवरो के गुंजन में महसूस किया है 

तुम ही इस सांझ और धूप में 
तुम ही इस रंग और रूप में 
साँसों के सरुर में  महसूस  किया है 

                   तुम्हीं छिपे हो गीत और संगीत में 
                   तुम्हीं छिपे हो सुर और प्रीत में 
                   धड़कनों के गीत में महसूस किया है 

तुम हो परिंदो की परवाज़ में 
तुम हो आस और विश्वास में 
धरती आकाश में महसूस किया है 
@मीना गुलियानी 

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