कैसे मकाम पे जिंदगी लाई है मुझे
न ख़ुशी न गम पे है इख्तयार मुझे
देना है तमाम उम्र का हिसाब मुझे
दिल तो फ़िदा है कैसे कहेगा तुझे
चिलमन के उस पार तूने बुलाया है मुझे
कैसे करूँ मै यकीं तू याद करता है मुझे
ज़मीं से उस आसमाँ तक दिखता गुबार मुझे
हसरते दीदार की शबे इंतज़ार होगी हासिल मुझे
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