हम दिल को कैसे धीर बँधायें
कैसे इसके सूनेपन को मिटाएँ
यह तो हवा चलने से काँप उठता है
ज़माने की ठोकरों से भी डरता है
कैसे हम इसका डर दूर भगाएँ
इस दर्दे गम की दवा क्या है
तुम्हीं बताओ माज़रा क्या है
किसे हम हाल दिल सुनायें
कैसे सुकून मिलेगा इस ज़माने में
थक चुके है हम तोहमतेँ उठाने में
थकान इस जिया की कैसे मिटाएँ
गम से बोझिल हुआ मन दूर तेरे जाने से
जी उठेगा फिर बुझा मन एक तेरे आने से
दिल के अरमानो को फिर से हम जगाएं
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