आ जाओ अब न तरसाओ अखियाँ प्यासी रे
कबसे तेरी राह निहारूँ छाई उदासी रे
प्रीतम कितनी दूर बसे हो
मन मंदिर में कर लो बसेरा
दिल भी तो ये घर है तुम्हारा
इसमें ही डालो तुम डेरा
कबसे ये अखियाँ देखे बिन तुमको
नीर बहाती रे
आ जाओ इक बार तो सजना
पूरा मेरा हो जाए ये सपना
चिन्ता मिटाओ जल्दी आओ
दिल को मेरे न तरसाओ
आ जाओ तो मिट जाए
जन्मों की उदासी रे
@मीना गुलियानी
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