ज़माने वालो न सताओ हमको कि हम है खुद से परेशां
दिल टूटेगा फिर न जुड़ेगा कि हो न जाए बदग़ुमाँ
हर शाख से पत्ता पूछेगा, गिरने का सबब जानेगा
हर हाल में फिर भी जीना है लेना न और इम्तहाँ
न थी कोई बेवफाई जिसकी ये सज़ा मिली
जाने न हम फिर भी रहते है यूं तन्हा परेशां
मंजिल की तालाश में भटकते रहे मिली न रहगुज़र
न पाये अभी तक कहीं हमने उम्मीदों के निशां
@मीना गुलियानी
@मीना गुलियानी
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