लिखा है सबका उसी ने तो नसीब है
मिलता वही जो होता अपने नसीब है
नदिया के दोनों दूर है किनारे
मिल जाए मांझी तो वो पार उतारे
हो जो पतवार तो किनारा भी करीब है
सबको बनाया उसने माटी वो एक है
मिली जिंदगानी जैसे कर्मोँ के लेख है
जिसको संवारा उसका चमका नसीब है
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