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गुरुवार, 3 मार्च 2016

सरूर तेरे प्यार का



छेड़ गया फिर से फ़साना कोई प्यार का 
दिल मेरा खो गया पूरा नशा हो गया 

                  अरमां यूं जगने लगे ख़्वाब कई सजने लगे 
                  दिल के अधूरे सपने आँखों में सजने लगे 
                  हवाओँ ने घोल दिया रस उसमें बहार का 

मस्ती सी छाने लगी है नींद सी आने लगी है 
कोई न रोके मुझे अब खुमारी सी छाने लगी है 
जाने ये  कोई जादू या सरूर तेरे प्यार का 

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