ये नज़र झुकी झुकी
आरजू घुटी घुटी
चाहत की ये घटा
फिर से उमड़ उठी
कहदो इन फ़िज़ाओं से
और इन हवाओं से
रास्ता न रोको तुम
मस्ती में हो जाएँ गुम
गीत गुनगुना उठे
फूल मुस्कुरा उठे
कलियाँ बहार की
मस्त है बयार भी
सुरभि लिए चली पवन
मस्त हो रहा गगन
झूम उठा तन और मन
क्यों न नाचे गाएँ हम
@मीना गुलियानी
हमेशा की तरह लाजवाब
जवाब देंहटाएंहवा मे ख्शबूओं का अहशास, लाजवाब !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मीना जी.
हवा मे ख्शबूओं का अहशास, लाजवाब !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मीना जी.