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शुक्रवार, 4 मार्च 2016

तुम्हारी पदचाप


ये तुम्हारी पदचाप मुझे सुनाई दे रही है
लगता हे जैसे आवाज़ मुझे दे रही है

              दूर की अमराइयों से घने जंगलों से
              कोई बांसुरी सी बजती सुनाई दे  रही है

ख़ामोशी के दामन से घटाओं के आँचल से
इक खुशबु सी उड़ती दिखाई दे रही है

               बहता हो कोई झरना जैसे टकराये साहिल से लहर जैसे
              ऐसी ही इक मौज मन में उमड़ती दिखाई दे रही है

तुमसे मै दूर नहीं कलियों के पीछे झुरमुट से
तेरे दिल की धड़कन मुझे सुनाई दे रही है

               जुल्फों की घनी छाँव जेसे मेहँदी लगे पाँव जैसे
               पायल की छम छम बजती सुनाई दे रही है

हर आहट पे खटका हो जैसे बदन में सिहरन हो जैसे
तेरी हर अदा बन्द आँखों से भी दिखाई दे रही है






@मीना गुलियानी 

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