ये तुम्हारी पदचाप मुझे सुनाई दे रही है
लगता हे जैसे आवाज़ मुझे दे रही है
दूर की अमराइयों से घने जंगलों से
कोई बांसुरी सी बजती सुनाई दे रही है
ख़ामोशी के दामन से घटाओं के आँचल से
इक खुशबु सी उड़ती दिखाई दे रही है
बहता हो कोई झरना जैसे टकराये साहिल से लहर जैसे
ऐसी ही इक मौज मन में उमड़ती दिखाई दे रही है
तुमसे मै दूर नहीं कलियों के पीछे झुरमुट से
तेरे दिल की धड़कन मुझे सुनाई दे रही है
जुल्फों की घनी छाँव जेसे मेहँदी लगे पाँव जैसे
पायल की छम छम बजती सुनाई दे रही है
हर आहट पे खटका हो जैसे बदन में सिहरन हो जैसे
तेरी हर अदा बन्द आँखों से भी दिखाई दे रही है
@मीना गुलियानी
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