Meena's Diary
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गुरुवार, 31 मार्च 2016
हमें मालूम न था
दिल की बस्ती लुट जायेगी
ऐसा तो हमें मालूम न था
दिल के हाथो मजबूर हुए हम
उल्फ़त की मौजो ने लूटा
आगाज़ तो हो ही गया था
अंजाम हमें मालूम न था था
मेरे आंसू और ये आहें
राहों में यूँ खो जाएंगे
कौन सुने फरियाद दिल की
ये राज़ हमें मालूम न था
@मीना गुलियानी
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