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शनिवार, 26 मार्च 2016

अब मुस्कुराइये

दिल की बेताबियाँ न यूँ बढ़ाइये
है आपको कसम मेरी लौट आइये
दूर मुझसे इस तरह यूँ भी न जाइये
मेरा कहा मानकर अब मुस्कुराइये

                    धीरे धीरे आसमां झुकने लगा
                    धरती को झूमके छूने लगा
                    तारे देखो कर रहे सरगोशियाँ
                   चमक रही बादलों में बिजलियाँ
                   इन हवाओं की महक में झूम जाइए

फूलों पे भी केसा ये निखार है
हर तरफ बहार ही बहार है
झूम रही डाली भी गुलनार की
कर रही  मदहोश ये बयार भी
आज इन्हीं वादियों में गुनगुनाइए
@मीना गुलियानी 

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