पंछी बन डोले फिरुँ कुञ्ज गलियन में
स्याम लगन छाने लगी मेरे तन मन में
चले सन सन ये जब पुरवइया
जिया झूमे है उड़ती चुनरिया
पंख लगे झूमूँ अपनी ही लगन में
तेरा मुखड़ा है सुंदर सलोना
प्रफुल्लित है मन का हर कोना
जाऊँ मथुरा तो कभी वृन्दावन में
तेरी प्यारी छवि मन को भाई
तेरी सूरत ये मन में समाई
देखूँ तुझे हमेशा मन उपवन में
@मीना गुलियानी
प्रफुल्लित है मन का हर कोना
जाऊँ मथुरा तो कभी वृन्दावन में
तेरी प्यारी छवि मन को भाई
तेरी सूरत ये मन में समाई
देखूँ तुझे हमेशा मन उपवन में
@मीना गुलियानी
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