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मंगलवार, 15 मार्च 2016

स्याम लगन लगी

पंछी बन डोले फिरुँ कुञ्ज गलियन में
स्याम लगन छाने लगी मेरे तन  मन में 

                 चले सन सन ये जब पुरवइया 
                 जिया झूमे है उड़ती चुनरिया 
                 पंख लगे झूमूँ अपनी ही लगन में 

तेरा मुखड़ा है सुंदर सलोना
प्रफुल्लित है मन का हर कोना
जाऊँ मथुरा तो कभी वृन्दावन में

                तेरी प्यारी छवि मन को भाई
                तेरी सूरत ये  मन में समाई
                देखूँ तुझे हमेशा मन उपवन में
@मीना गुलियानी 

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