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गुरुवार, 10 मार्च 2016

उसे समझो अपना


तू क्यों  करता है मेरी मेरी 
होना इक दिन राख की ढेरी 
नहीं सूझे तुझे रात घनेरी 

                    झूठे है सब  ये  रिश्ते नाते 
                   कोई न किसी का साथ निभाते 
                   वक्त पड़े सब साथ छोड़ जाते 

अपना दुःख न सबको सुनाना 
सबने इसे है फ़साना बनाना 
किसी ने न तुझे है अपनाना 

                   एक वही  है सहारा अपना 
                 दुनिया को  समझो सपना 
                 पाया जिसने उसे समझा अपना 
@मीना गुलियानी 

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