होना इक दिन राख की ढेरी
नहीं सूझे तुझे रात घनेरी
झूठे है सब ये रिश्ते नाते
कोई न किसी का साथ निभाते
वक्त पड़े सब साथ छोड़ जाते
अपना दुःख न सबको सुनाना
सबने इसे है फ़साना बनाना
किसी ने न तुझे है अपनाना
एक वही है सहारा अपना
दुनिया को समझो सपना
पाया जिसने उसे समझा अपना
@मीना गुलियानी
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