कभी धूप में कभी छाँव में
कभी इन महकती फिजाओं में
तुझे ढूंढती है मेरी नज़र
मेरे हमसफर - मेरे हमसफर
तू जहाँ पे है मै भी हूँ वहाँ
तेरे होने ही से मेरा जहाँ
मेरी आहटें तेरी धड़कनें
ज़रा सुनले इन पे भी गौर कर
मेरी हर ख़ुशी में सरूर है
तू ही तो मेरा गरूर है
तेरे साथ ही मै चली चलूँ
चाहे जो भी हो तेरी रहगुज़र
पिया तू अगर मेरे साथ हो
तो न दिल मेरा यूँ उदास हो
यूँ हाथों में तू थाम ले
मुझे फिर रहे न कोई फ़िक्र
@मीना गुलियानी
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