दहेज़ है एक बुरी प्रथा इसको आज मिटाना होगा
फिर न टूटे रिश्ता कोई दहेज़ के कलंक से
फिर न टूटे दिल किसी का दहेज़ के कलंक से
समाज से समूल ही तुमको कलंक मिटाना होगा
कोई पिता की न हो बर्बादी इस झूठे रीति रिवाज़ से
किसी की कन्या रहे न कुँवारी दहेज़ के अभिशाप से
माना है बड़ा धर्म सकंट तुमको ये अलख जगाना होगा
तुम इस भारत के बेटे हो तुम कुछ भी कर सकते हो
अगर ठान लो मन में तो संताप सभी का हर सकते हो
हर बेटी के पिता की मर्यादा को तुम्हें बचाना होगा
तुम भारत माँ के सपूत हो जो झुका न किसी रण में
यह भी ऐसा कर्मक्षेत्र है फूँक दो जान इसी प्रण में
कोई न लेगा अब दहेज़ अब इसे समूल मिटाना होगा
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें