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शुक्रवार, 18 मार्च 2016

नारी तेरे रूप अनेक


सरस्वती के रूप में तुम हो
लक्ष्मी के स्वरूप में तुम हो
बढ़े कहीं जब अत्याचार
दुर्गा काली रूप में तुम हो

                    खुशियो का सागर भी तुम हो
                    प्रेम का भंडार भी तुम हो
                    घर आँगन है  तुम्हीं से रोशन 
                    त्याग की पहचान भी तुम हो

संस्कारों की जान भी तुम हो
ममता की पहचान भी तुम हो
कोमलता का ऐहसास तुम्हीं से
शक्ति का अवतार भी तुम हो
@मीना गुलियानी 

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