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बुधवार, 9 मार्च 2016

ज़माने की नज़र बदली है


ज़माने की नज़र बदली है अब देखिए क्या हो
अब होने को है पास सहर देखिए क्या हो

                      जब पास थे तुम खुश थे बहुत चाँद सितारे
                     तुम पास हमारे थे तो हम पास तुम्हारे
                     अब बदली है तस्वीर मगर दखिए क्या हो

मालूम न था हमको कि कभी ऐसा भी होगा
जिसको नाखुदा समझा वो था आँखों का धोखा
अब मेरी भी आहों का असर देखिए क्या हो

                     मुमकिन है कि तेरे ये जज़्बात अलग है
                     पर मुझको गुमाँ होता है ख्यालात अलग है
                     पशेमानी में कट जाए उम्र देखिए क्या हो
@ मीना गुलियानी


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