हाले दिल मै क्या कहूँ
मुश्किल है मेरे सामने
किश्ती जो है तूफां भी है
पतवार जो है साहिल भी है
सौंपा दिल जिस दिलबर को
इक वो ही नहीं मेरे सामने
न हो रूसवा किसी का तोहफ़ा
बनके दिलबर दे गया धोखा
इस महफ़िल का क्या करूँ
कातिल है जो मेरे सामने
@मीना गुलियानी
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