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रविवार, 6 मार्च 2016

मुश्किल है मेरे सामने



हाले  दिल मै क्या कहूँ 
मुश्किल है मेरे सामने 

                    किश्ती जो है तूफां भी है 
                    पतवार जो है साहिल भी है 
                    सौंपा दिल जिस दिलबर को 
                    इक वो ही नहीं मेरे सामने 

न हो रूसवा किसी का तोहफ़ा 
बनके दिलबर दे गया धोखा 
इस महफ़िल का क्या करूँ 
कातिल है जो मेरे सामने 



@मीना गुलियानी 

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