Meena's Diary
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गुरुवार, 3 मार्च 2016
करते हो बेकरार किसलिए
करते हो हमको बेकरार आप किसलिए
छेड़ते मन वीणा के तार किसलिए
लिए फिरते गमो को दिल में छिपाए
चुपचाप बैठे हो यूँ बेज़ार किसलिए
हमसे न कहोगे तो किससे कहोगे
रोते हो तुम ज़ार ज़ार किसलिए
ठुकरा दो उस जहाँ को जो तुम्हें सताए
इस मतलबी जहाँ से प्यार किसलिये
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