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बुधवार, 9 मार्च 2016

वसंत ऋतु


देखो बादलों की ओट से फिर चंदा निकल आया 
कुमुद कुमुदिनी खिल गए  हर उपवन महकाया 

                   सूर्योदय की लाली से उषा का मन इठलाया 
                   पक्षियों के कलरव ने भी कैसा रंग जमाया 

कोयल फिर से लगी कूकने वृक्षों ने आम्ररस टपकाया 
घन  को घिरते देख मन मयूरा भी है कितना  हर्षाया 

                   नन्हीं नन्हीं बूंदो ने पत्तों को आज हुलसाया 
                   धरती आकाश के समक्ष इन्द्रधनुष छितराया 

शीतल सुगंधित बयार चली हर मन उपवन महकाया 
मिलकर खेलें आओ फाग अब  ऋतु वसंत है आया 
@मीना गुलियानी 

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