देखो बादलों की ओट से फिर चंदा निकल आया
कुमुद कुमुदिनी खिल गए हर उपवन महकाया
सूर्योदय की लाली से उषा का मन इठलाया
पक्षियों के कलरव ने भी कैसा रंग जमाया
कोयल फिर से लगी कूकने वृक्षों ने आम्ररस टपकाया
घन को घिरते देख मन मयूरा भी है कितना हर्षाया
नन्हीं नन्हीं बूंदो ने पत्तों को आज हुलसाया
धरती आकाश के समक्ष इन्द्रधनुष छितराया
शीतल सुगंधित बयार चली हर मन उपवन महकाया
मिलकर खेलें आओ फाग अब ऋतु वसंत है आया
@मीना गुलियानी
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