बिन तेरे मुझसे रहा जाता नहीं
कुछ भी अब मुझको पिया भाता नहीं
कैसे कहदूँ क्यों हुई मै दूर हूँ
तुझसे मिलने के लिए मजबूर हूँ
तेरे बिन अब चैन भी आता नहीं
छीना तुमने जबसे मेरे दिल का चैन
तबसे मेरे व्याकुल है ये दोनों नैन
कैसे देखूँ कुछ नज़र आता नहीं
बिन तेरे गलियाँ मेरी ये उदास है
वीरान सी रहती सदा चुपचाप है
अब तो ये चंदा भी इतराता नहीं
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