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शनिवार, 5 मार्च 2016

गाये कोयलिया काली


सखी गाये कोयलिया काली
सखी झूमे वो डाली डाली
झूमे तितली भी बन मतवाली

                       फूलों पे फिर से शबाब आ गया है
                       खिलना उन्हें भी रास आ गया है
                       भाये फूलों की सुगंध मतवाली

टूटे पेड़ों के पत्ते पुराने दिन आए है बड़े सुहाने
हरे पत्ते और नव-कोंपले लिए फूल लगे मुस्काने
पँख फैलाये हुए वन में नाचे मयूर देखो आलि


@मीना गुलियानी 

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