ये जिंदगी की कश्मकश कभी कम नहीं होती
क्या करें अपनी बेकसी कभी कम नहीं होती
तुझसे मिलने की तड़प बढ़ती जाती है
जिद अपनी मिलने की कम नहीं होती
मायूसी का आलम हमसे न पूछिए
अपनों से बेगानगी कम नहीं होती
हमने तो रिश्ता -ऐ -उम्मीद तोडा सबसे
फिर भी तुझसे अदावत कम नहीं होती
उभरेंगे अभी और ये दिल के वलवले
दबाने से हसरते चाहत कम नहीं होती
@ मीना गुलियानी
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